CG News : किसान कर रहे भारी मात्रा में रसायनों का प्रयोग, खेत की सतह हो रही ख़राब
CG News : जशपुर जिले में अपनी शुद्धता के लिए मशहूर रसायनों का उपयोग अब भरपूर मात्रा में हो रहा है, जानकारी के अनुसार जब से धान का समर्थन मूल्य बढ़ा है.
कैसे उत्पादन बढ़ा रहे किसान
किसान लगातार उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं, जिसके लिए यूरिया, डीएपी जैसे कई रसायनों का उपयोग खेतों में बढ़ रहा है, कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाय तो बीते वर्षों में खरीफ की फसलों के लिए विभाग द्वारा 15 हजार 457.45 टन रसायन किसानों के बीच वितरण किया गया था.
जानिए कैसे होता था फसल उत्पादन
वहीं वर्तमान वर्ष 2025 में रासायनिक खाद का वितरण 34 हजार 146.36 टन है, जिसका अर्थ यह है कि किसान पहले गोबर खाद से धान की फसल का उत्पादन करते थे, लेकिन इस वर्ष उत्पादन की बढ़ोतरी के लिए रासायनिक खाद खेतों में डालते हैं.
क्या वजह है कई बार खाद डालने की ?
अधिक बारिश के चलते इस बार कई किसानों को दो से तीन बार खाद डालने की नौबत आ गई, जिससे खेतों में इस वर्ष सबसे ज्यादा मात्रा में यूरिया डाला गया है, कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 21 हजार 401.94 टन यूरिया इस साल किसानों ने उपयोग किया.
पहले की अपेक्षा कितना उपयोग हुआ डीएपी
डीएपी की बात की जाय तो पहले की अपेक्षा इस वर्ष 4 हजार 482 टन डीएपी का उपयोग किसानों द्वारा किया गया, सहकारी समितियों के अनुसार इस वर्ष 15 हजार 34 .65 टन फर्टिलाइजर किसानों में वितरण किया गया.
गाँव – गाँव बनाया जा रहा जैविक खाद
सरकार द्वारा गाँव – गाँव में गोठान की स्थापना कर जैविक खाद बनाया जा रहा था, इसके लिए गोबर की खरीदी की जा रही थी, गोठानों में गीले टैंक बनाए गए थे स्व सहायता समूह के माध्यम से यह गतविधियां की जा रही थीं.
क्या है गोठान बंद होने का मामला ?
पर अब जिले के लगभग सभी गोठान बंद पड़े हैं जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया भी बंद हो चुकी है, ऐसी स्थिति में जैविक खेती का क्षेत्रफल भी काफी सिमट चुका है, किसानों ने इस वर्ष डीएपी की कमी को देखते हुए यूरिया का अग्रिम उठाव किया है, जिसके चलते यूरिया की खपत बढ़ी है, इसके अलावा पोश मशीन द्वारा बिक्री होने की वजह से फर्टिलाइजर के खपत का असली आंकड़ा अब सामने आया है.



