Mahant Suraj Das: जिस उम्र में कोई बच्चा खेलने कूदने और कार्टून देखने में व्यस्त रहता है। उस उम्र में सूरज दास अयोध्या हनुमानगढ़ी के महंत बन गए हैं। जी हां 12 साल के सूरज दास अयोध्या के महंत पद के गद्दी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इस नन्हे महंत की बातें एक पनिपक्व और अनुभवी व्यक्तियों की तरह होती है। उनकी बातें सुन कर यह कोई कह नहीं सकता कि यह 12 साल के हैं। लेकिन सच यही है की मात्र 12 साल की उम्र में महंत सूरदास पूरे मठ को संभाल रहे हैं। आजकल सोशल मीडिया पर इनका बड़ा नाम है। आइये हम इनकी कहानी जानते हैं।
बालक सूरज दास ऐसे बने महंत
महंत सूरज दास (Mahant Suraj Das) छह भाइयों में सबसे छोटे हैं। सूरज दास कहते हैं कि जिनमें से यह सबसे छोटे हैं। महंत जी कहते हैं कि जब यह स्कूल से आते थे तो यह देखते थे कि उनके भाई सब अलग-अलग कामों और कार्टून देखने में व्यस्त हैं, जिस दौरान यह लव कुश का बाल काण्ड देखते थे। इसके बाद उन्हें प्रेरणा मिली कि यह भी भगवान की शरण में लीन होना चाहते हैं। सूरज दास छूटी सी उम्र में भगवान के सेवा में लग गए। अब महज 12 साल की उम्र में अयोध्या के हनुमानगढ़ी में महंत के रूप में भागवत सेवा कर रहे हैं। इनका मानना यह था कि देश में लोगों में जनकल्याण एवं जन चेतना होना बहुत जरूरी है। जिसके कारण इन्होंने घर को त्याग कर अयोध्या में बस गए। खेलकूद एवं पढ़ाई लिखाई की उम्र में यह महंत बन गए हैं।

अंग्रेजी से है नफरत
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना आदर्श मानते हैं। साथ ही अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा के दौरान योगी आदित्यनाथ से सूरज दास की मुलाकात भी हुई। उनकी शिक्षा की बात करें तो सूरज दास तीसरी कक्षा तक पढ़े हैं। इसके बाद इन्होंने पढ़ाई को त्याग दिया था, गणित और हिंदी उनके प्रिय विषय रहे हैं। इसी के साथ इन्होंने यह भी बताया कि अंग्रेजी भाषा से सख्त नफरत है, क्योंकि इनका मानना है कि हिंदी भाषा हमारी देश की भाषा है, अंग्रेजी भाषा नहीं। इसी के साथ-साथ संस्कृत भाषा भी सीख रहे हैं।
राजनीति में खासा रुचि रखते हैं महंत सूरज दास
महंत सूरज दास (Mahant Suraj Das) का पूरा दिन हनुमानगढ़ी की हनुमान जी के मंदिर में बीतता है। आस्था के साथ-साथ बालक सूरज दास महंत को राजनीति में खासा रुचि है।
