CG News : चौकाने वाला रहस्य आया सामने,मानकेश्वरी देवी मंदिर में चढ़ती है बकरे की बलि
CG News : छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से एक अनोखी और प्राचीन धार्मिक परंपरा की खबर सामने आई है, शरद पूर्णिमा के दिन मानकेश्वरी देवी मंदिर में बैगा समाज ने बकरों की बलि देकर उनका खून पीने की परंपरा को अंजाम दिया गया.
पूजा में दी गयी बलि
बताया जा रहा है कि इस बार बलि पूजा में 40 बकरों की बलि दी गई, यह परंपरा रायगढ़ में करीब 500 वर्षों से चली आ रही है, बलि पूजा का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है.
खून पीने के वावजूद भी कोई प्रभाव नहीं
श्रद्धालुओं के अनुसार, इतने बकरों का खून पीने के बावजूद बैगा के शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं दिखाई देता,उनकी मान्यता है कि इस दिन देवी का वास बैगा के शरीर में हो जाता है और वह बलि दिए गए बकरों का रक्त ग्रहण करती हैं.
पूजा के बाद वितरित हुआ प्रसाद
बल पूजा के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद भी वितरित किया जाता है,मानकेश्वरी देवी के बारे में जानें तो यह मंदिर रायगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 27 किलोमीटर दूर करमागढ़ में स्थित है.
पूजा में शामिल हुए श्रद्धालु
मानकीश्वरी देवी रायगढ़ राजघराने की कुल देवी मानी जाती हैं।शरद पूर्णिमा के दिन दोपहर के बाद बलि पूजा शुरू होती है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं, श्रद्धालुओं का कहना है कि जिनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वे बकरा और नारियल लेकर माता को चढ़ाते हैं.
बलि में घटी बकरों की संख्या
पूर्व में कोरोना से पहले इस पूजा में 150 से 200 बकरों की बलि दी जाती थी। लेकिन अब संख्या घटकर करीब 100 और इस बार केवल 40 बकरों तक सीमित रह गई है। बलि पूजा से एक रात पहले निशा पूजा का आयोजन होता है.
पूर्व अध्यक्ष के अनुसार
पूजा समिति के पूर्व अध्यक्ष युधिष्ठिर यादव के अनुसार, इस पूजा के दौरान राज परिवार से एक ढीली अंगूठी बैगा के अंगूठे में पहनाई जाती है, बलि पूजा के समय यह अंगूठी कस जाती है, जिसे यह संकेत माना जाता है कि अब देवी का वास बैगा के शरीर में हो गया है.
पूजा के बाद होती हैं ये रस्में
इसके बाद श्रद्धालु बैगा के पैर धोते हैं और सिर पर दूध डालकर पूजा करते हैं। मानकेश्वरी देवी के भक्त रायगढ़ के अलावा अन्य जिलों और ओडिशा से भी यहां आते हैं, अपनी मनोकामना पूरी होने पर वे बकरा चढ़ाकर आभार प्रकट करते हैं.
गोड़ राजा परिवार ने की स्थापना
मंदिर की स्थापना गोड़ राजा रायगढ़ के राजा चक्रधर सिंह के परिवार द्वारा की गई थी और तब से यह परंपरा जारी है इस शरद पूर्णिमा के दिन करमागढ़ में हुई.
पूजा देखने पहुंचे श्रद्धालु
बलि पूजा को देखने रायगढ़ के जोबरो, तमनार, गौरबहरी, हमीरपुर, लामदांड, कुरसलेंगा, भगोरा, मोहलाई, बरकछार, चाकाबहाल, अमलीदोड़ा और ओडिशा के सुंदरगढ़, सारंगढ़, विजयपुर, जुनवानी, बंगुरसिया सहित कई गांवों के श्रद्धालु पहुंचे.
क्या बलि देने से पूरी होती है मनोकामनाएं
श्रद्धालुओं का विश्वास है कि बलि देने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, वहीं, यह परंपरा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से स्थानीय समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है.
जानिए मानकेश्वरी देवी मंदिर की शरद पूर्णिमा
तो यह थी रायगढ़ जिले से मानकेश्वरी देवी मंदिर की शरद पूर्णिमा की बलि पूजा की खास खबर। यह परंपरा न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक अहम महत्व रखती है.




