CG News : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं मिली नौकरी, उपमुख्यमंत्री से न्याय की गुहार
CG News : छत्तीसगढ़ में न्यायालय के आदेशों की अवहेलना अब आम हो गई है। हाल ही में SI भर्ती परीक्षा, D.Ed-B.Ed विवाद और अब सहायक शिक्षकों की नियुक्ति जैसे मामलों में साफ दिख रहा है कि राज्य सरकारें कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद समय पर कार्रवाई करने से पीछे हट रही हैं। सबसे ताजा मामला है नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा नियुक्त सहायक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द किए जाने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहाली के आदेश के बावजूद नियुक्ति न किए जाने का।
2014 में नियुक्ति, 50 दिन में बर्खास्तगी
प्रदेशभर के जिलों से धमतरी, बलौदाबाज़ार और गरियाबंद के 45 सहायक शिक्षक 2014 में पूरी चयन प्रक्रिया के बाद नगर निगम स्कूलों में नियुक्त किए गए थे। लेकिन सिर्फ 50 दिन बाद, 29 नवंबर 2014 को बिना कारण बताए सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया गया। इन शिक्षकों ने कानूनी लड़ाई लड़ी और 2019 में हाई कोर्ट से राहत मिली, फिर 2022 में डबल बेंच से पुष्टि, और अंत में 15 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट से भी बहाली का आदेश हासिल किया।
फैसला हुआ, लेकिन बहाली नहीं!
2014 में जिन स्कूलों में नियुक्ति हुई थी, वे स्कूल नगरीय प्रशासन विभाग के अधीन थे, लेकिन 2019 में सभी स्कूल शिक्षा विभाग को स्थानांतरित कर दिए गए। अब दो विभागों की ज़िम्मेदारी तय न होने के कारण कोर्ट का आदेश भी लटक गया है। सरकारें बदलीं—रमन सिंह से लेकर भूपेश बघेल और अब विष्णुदेव साय की सरकार—पर शिक्षक आज भी बेरोजगार हैं।
उपमुख्यमंत्री अरुण साव से गुहार
15 मई 2025 को इन शिक्षकों ने न्याय की उम्मीद लेकर उपमुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव से मुलाकात की और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर पुनः नियुक्ति की मांग की।
शिक्षक गवेन्द्र कुमार साहू ने बताया: “हमारे साथ अन्याय हुआ है। 2013 में चयन हुआ, फिर 2014 में नियुक्ति, और बिना किसी कारण हमें निकाल दिया गया। हम सालों तक कोर्ट में लड़े और अंततः सुप्रीम कोर्ट से जीत हासिल की। अब भी सरकार हमें नियुक्त नहीं कर रही। यह हमारे अधिकारों का खुला उल्लंघन है।”
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