Arun Yogiraj: कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले अरुण योगीराज ने अयोध्या में विराजमान हो चुके प्रभु श्री रामलला जी के मूर्ति को आकार दिया हैI अरुण योगीराज कि पत्नी ने बताया कि मूर्ति को बालस्वरूप आकार देते समय उनके आँख में पत्थर का एक छोटा सा टुकड़ा घुस गया था, जिसे ऑपरेशन के बाद निकाला गया। उसके बाद उन्होंने अपने आँखों का परवाह किये बिना, नीदों को तोड़कर मूर्ति के शिल्पकारी में दिन-रात एक कर दिया। आइए योगिराज (Arun Yogiraj) के ऐसे कई संघर्षों के बारे में जानते हैं।
विरासत में मिला है मूर्ति बनाने की कला
अरुण योगीराज (Arun Yogiraj) के दादा (बसवन्ना योगीराज ) जी चाहते थे कि वे एक मूर्तिकार ही बने I उन्होंने इसकी भविष्यवाणी पहले ही कर दी थीI और फिर बाद में हुआ भी वहीं I अरुण योगीराज ने एक मीडिया में बयान देते हुए कहा कि ,मैं इस काम के लिए अपने आपको बड़ा
सौभाग्यशाली समझता हूँ। वे सुर्ख़ियों में तब से आये जब उन्होंने यह कहा कि यह , वो प्रभु श्रीरामलला कि मूर्ति नहीं है जो मैंने
बनायीं थी ,यह तो कोई और ही है I
नौकरी छोड़ दी तो माँ ने लगाईं थी फटकार!
अरुण योगीराज (Arun Yogiraj) ने 2008 में मैसूर यूनिवर्सिटी से MBA की पढ़ाई करने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की और कुछ सालों बाद हीं नौकरी छोड़ दी, जिसको लेकर माँ ने खूब फटकार लगाई थी। इनके पिता योगीराज शिल्पी भी मूर्तिकार हैं। यह काम इनको विरासत में मिला है जो कि मैसूर के राजा – रजवाड़े के घराने से सम्बंधित है I
51 इंच ऊँची है रामलला बालस्वरूप की मूर्ति
प्रभु श्रीरामलला के मूर्ति को आकार देने से पहले उन्होंने कई और मूर्तियों को एक नया आकार दिया है। केदारनाथ में स्थित श्री आदिशंकराचार्य जी कि 12 फ़ीट ऊँची प्रतिमा व दिल्ली स्थित इण्डिया गेट के पास नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी कि 30 फ़ीट ऊँची प्रतिमा को आकार दिया है। बता दें कि अयोध्यापति राम भगवान जी के मूर्ति की कुल वजन करीब 200 किलोग्राम है, जिसे श्यामशिला पत्थर से तराशा गया है I
PM मोदी भी कर चुके है बखान
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी भी इनके काम कि तारीफ कर चुके हैं। इनको कर्नाटक सरकार की ओर से कई सर्वोच्चतम पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। जाहिर है कि यह ऐतिहासिक शुभ काम करके उन्होंने अपना नाम इतिहास के अमिट अक्षरों में दर्ज करा लिया है, जिसे कभी भी नहीं भुलाया जा सकता है I
