भारतीय जनसंचार संस्थान(IIMC) के 55वें दीक्षांत समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ‘डीप फेक’ (Deepfake) भ्रामक ख़बरें और गलत सूचनाएं , पुरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती है। वर्तमान समय में जानबूझकर गलत सूचना फैलाने के लिए डिजिटल माध्यमों का उपयोग कर सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि संस्थानों से पढ़ाई करने वाले पत्रकारों को यह तय करना होगा कि वे भ्रामक खबरों और गलत सूचनाओं के प्रसार के खिलाफ लड़ाई लड़ें।
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क्या है ‘डीप फेक ‘
Deep fake शब्द Deep learning और Fake से मिलकर बना है। ये एक फेक टेक्नोलॉजी है, जिसकी सहायता से किसी अन्य व्यक्ति की फोटो या वीडियो खास व्यक्ति/सेलिब्रिटी के चेहरे से स्वैप कर दिया जाता है ।ये दिखने में बिल्कुल असली फोटो या वीडियो की तरह नजर आते है। फेक वीडियो और चित्र/तस्वीर बनाने के लिए जी. ए. एन. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।
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‘ डीप फेक ‘ मामलों से जुड़े प्रमुख हस्ती
सबसे ताजा मामला अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का है। जिसमें अभिनेत्री के चेहरे का इस्तेमाल कर वीडियो था,जोकि सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। दर्शकों ने कई तरह की प्रतिक्रिया दी और अभिनेत्री को ट्रोल किया गया। जबकि वह वीडियो रश्मिका मंदाना की नहीं किसी और की थी। जिसे ‘डीप फेक’के माध्यम से बदल कर बनाया गया था।
इस तरह ‘डीप फेक’मामले में अभिनेत्री काजोल, कैटरीना कैफ, मशहूर उधोगपति टाटा भी शामिल है।
भारत में ‘डीप फेक’ को लेकर क्या है कानून
वर्तमान में भारत में ‘डीप फेक’के लिए विशिष्ट रूप से कोई कानून नहीं है,लेकिन कुछ ऐसे कानून है जिसकी सहायता से इस साइबर अपराध से निपटा जा सकता है । 2000 की धारा 66ई और धारा 66डी कानूनी प्रावधानों के अतिरिक्त कापीराइट अधिनियम 1957 की धारा 51 भी शामिल है।