CG News : आँखों से दुनिया ना देख पाने पर भी संध्या बनी हेडमास्टर
CG News : छत्तीसगढ़ के रायगढ़ की निवासी नेत्रहीन दिव्यांग शिक्षिका संध्या पाण्डेय ने साबित कर दिया की ,हमारे अन्दर की कमियों का हमारे हौसले और जूनून के आंगे कोई महत्व नहीं है | भले ही वह दुनिया नहीं देख पा रही हों ,लेकिन संध्या आज सरकारी स्कूल में छात्रों को पढ़ाकर उनका मार्गदर्शन कर रहीं हैं |जानकारी के मुताबिक ,सरईभद्दर के शासकीय विद्यालय के हेडमास्टर पदस्थ संध्या की कहानी हम सभी के लिए संघर्ष ,साहस ,बहादुरी व समर्पण की मिशाल पेश करती है |
जानिए संध्या की प्रेरणादायक कहानी
संध्या का जन्म छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में हुआ था | उनके पिता एल .पी .पांडे शासकीय नटवर हाई स्कूल में गणित के शिक्षक थे ,जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं |जानकारी के मुताबिक, संध्या 5 बहनों में सबसे बड़ी है | वह हर दिन अपनी माँ के साथ ही विद्यालय जाती है ,संध्या संस्कृत विषय की शिक्षिका है |वह जब भी बच्चों को पढ़ाती समझाती है ,बच्चे उसे बहुत ही ध्यानपूर्वक सुनते हैं | जब भी संध्या ब्लैकबोर्ड में लिखकर बच्चों को समझाती है ,तब उसकी माँ संध्या की मदद करती है |
क्या है वजह आँखों की रोशनी जाने की
1999-2000 में संध्या गणित विषय की पढ़ाई कर रही थी ,जब वह फाइनल ईयर में पहुंची तो एक दिन अचानक उनके सर में तेज दुर्द व बुखार आ गया | परिजन तुरंत ही निजी अस्पताल में इलाज के लिए ले गए ,उस दौरान अस्पतालों में सिटी स्कैन और एमआरआई की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थीं , इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें रायपुर अस्पताल में रेफर कर दिया | इन सब के दौरान अचानक उनकी आवाज व आँखों की रोशनी चली गयी |जानकारी के मुताबिक इसके बाद वह 7 माह कोमा में रहीं |परिजनों ने जांच के लिए कई अस्पतालों में इलाज के लिए ले गए ,लेकिन संध्या में कोई बदलाव नहीं हुआ |
इसके पश्चात् उन्हें वापस रायगढ़ अस्पताल में ही एडमिट किया गया |कुछ दिनों बाद संध्या की आवाज लौट आई पर आँखों की रोशनी नहीं ,संध्या तब से गुमसुम व निराश रहती थी |उसे देख माता -पिता भी दुखी रहते थे |
संध्या ने बच्चों को शिक्षा देने का बनाया प्लान
संघर्ष के कुछ दिनों के बाद संध्या ने सोचा की जब उसने शिक्षा ली है ,ज्ञान है उसके पास तो क्यों ना वह बच्चों में बांटी जाय |ताकि उनका भविष्य सुनहरा व उज्जवल बने, इस दौरान 2005 में शिक्षकों की सीधी भर्ती की वैकेंसी निकली ,जिसमे सौ फीसदी शिक्षक का भी पद था|उन्होंने इंटरव्यू दिया और शिक्षिका के पद में उनका चयन हो गया |
पहली पोस्टिंग डूमरपाली स्कूल
शहर से करीब 10 किमी दूर स्थित कोड़ातराई के डूमरपाली में संध्या की पहली पोस्टिंग हुई ,जानकारी के मुताबिक तब उन्हें स्कूल तक पहुँचने में परेशानी होती थी |साथ में माँ भी जाती थीं लेकिन तब भी उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था | इसकी सुविधा के लिए उन्होंने रायगढ़ ट्रांसफर का प्रयास किया ,और 2008 में उनका ट्रांसफर सरईभद्दर शासकीय माध्यमिक स्कूल में हो गया |
विद्यालय की शिक्षिका से बनीं हेडमास्टर
लगातार बच्चों को पढ़ाते हुए ,२०२३ में उन्हें प्रमोशन मिला और इसी स्कूल में हेडमास्टर के पद पर कार्यरत हैं | स्कूल स्टाफ ऑफिस कार्यों को पूरा करने में उनकी मदद करते थे ,जानकारी के मुताबिक संध्या पाण्डेय ने बताया की ,बच्चे पहले पढ़ते हैं बाद में वो उन्हें समझातीं हैं |और जहाँ समझ ना आए तो बार बार पूछने की स्वतंत्रा उन्होंने बच्चों को दे रखी थी |
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Author: Safeek khan
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