G7 SUMMIT: G7 का सदस्य नहीं है भारत फिर भी प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया जाता है
G7 SUMMIT : बता दे कि इटली में G7 देश की बैठक में उन सभी देशों को निमंत्रण भेजा गया है जो G7 के सदस्य हैं दुनिया के 7 सबसे समृद्ध देश इस संगठन में शामिल है वैसे भारत इसका सदस्य तो नहीं है लेकिन भारत को लगातार मेहमान की तरह बुलाया जाता रहा है चलिए जानते हैं की G7 का सदस्य भारत नहीं है उसके बावजूद भी उसे क्लब में क्यों बुलाया जाता है
इटली के पुलिया में 15 जून तक G7 सबमिट चलेगी जिसमें हिस्सा लेने के लिए भारत के PM नरेंद्र मोदी भी पहुंचे हैं वैसे तो भारत G7 देश की सूची में शामिल नहीं है लेकिन उसे शिखर सम्मेलन में ज्यादातर बुलाया जाता रहा है और यह अपने आप में ही एक उपलब्धि है । इसके कई कारण है जिनके वजह से हम दुनिया के सबसे अमीर इन सातो देश के क्लब में आधिकारिक तौर पर अब भी बाहर हैं
आखिर है क्या G7
ग्रुप ऑफ़ 7 दुनिया के सबसे समृद्ध लोकतांत्रिक देश का एक समूह है, जिसमें शामिल देश अमेरिका यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान यह समिति का हिस्सा है । पहली बार 70 के दशक में आयोजित हुई थी। पहली बैठक आयोजित करने के बाद इसका काफी फायदा देखने को मिला, इसके बाद से ही G7 सबमिट का आयोजन होने लगा तब के समय में रूस भी इसमे शामिल था लेकिन 2014 में रूस को इस सबमिट से बाहर कर दिया गया
मेजबान देश को विशेषअधिकार
आपको बता दे की इस समिति में जो मेजबान देश होता है उसे यह पावर होती है कि वह ग्रुप के सदस्यों के अलावा भी कुछ और देश को भी बुला सकता है इस बार जी7 की मेजबानी इटली कर रहा है जिसने सम्मेलन में भारत के साथ इटली, ब्राज़ील, अर्जेंटीना, तुर्की, यूएई, केन्या, अल्जीरिया को भी गेस्ट की तरह बुलाया है
इन वजह से भारत को बार-बार सबमिट में बुलाया जाता है
G7 जिसमें भले ही दुनिया के सबसे उच्च इकोनॉमिक्स वाले देश शामिल है पर यह पुरानी बात है फिलहाल हमारी जीडीपी ढाई ट्रिलियन से भी अधिक है जो की G7 देश में शामिल कनाडा फ्रांस और इटली की संयुक्त जीडीपी से भी अधिक है। वेस्ट के देशो कि जहां इकोनामी ग्रोथ की जो संभावना है अब लगभग ठहर चुकी है वहीं भारत की बात करें तो यह लगातार ऊंचाइयों को उछाल मार रही यही कारण है कि G7 देश लगातार भारत को अपने साथ रखना चाहते है
अभी भी भारत क्लब से बाहर क्यों
कोल्ड वॉर के दौरान भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन का हिस्सा था जो की सुपर पावर की आपसी लड़ाई से दूर रहने की बात करता है यह कारण अभी है क्योंकि इस क्लब से जुड़ने का मतलब यह होगा की रूस या ऐसे दूसरे देशों के विचार धाराओं से दूर जाना होगा जो कि भारत नहीं चाहता
इंडो पेसिफिक इलाके से हमारा काफी पुराना संबंध है और यह G7 सदस्यों से काफी अलग है ऐसे में यदि भारत G7 संगठन का हिस्सा बनेगा तो पुराने जो संबंध है उनमें दरार आने की संभावना हो सकती है
हमरी प्रति व्यक्ति आय अभी भी इन 7 देश से काफी कम है इकोनामिक पम्प के बाद भी कहीं ना कहीं, आय की असमानता आड़े आ रही है.