Loksabha Election 2024 : ‘भारत रत्न’ या ‘चुनावी रत्न’ ? भारत रत्न को बनाया जा रहा चुनावी टूल, क्या है इसके पीछे का सियासी समीरण ?
Loksabha Election 2024 : भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है । यह एक नागरिक सम्मान है इसके अलावा भी नागरिक सम्मान है जिन्हें पद्म पुरस्कार कहा जाता है जिनमें से सबसे बड़ा पद्म विभूषण उसके बाद पद्मभूषण और पद्मश्री है
भारत सरकार द्वारा देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 1954 से 2024 तक में 53 लोगों को दिया जा चुका है।सर्वोच्च नागरिक सम्मान यानी भारत रत्न साल में सिर्फ तीन लोगों को मिलता है लेकिन 2024 में बढ़कर यह पांच हो गए हैं हालांकि इसके लिए कोई लिखित नियम नहीं है क्योंकि 1999 में भी चार भारत रत्न दिए गए थे।l
भारत रत्न 2024:
- कर्पूरी ठाकुर (बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री)
- लालकृष्ण आडवाणी (भारतीय राजनीतिज्ञ)
- चौधरी चरण सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री)
- पीवी नरसिम्हा राव (पूर्व प्रधानमंत्री)
- एमएस स्वामीनाथन (कृषि क्रांति के जनक)
Loksabha Election 2024 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा चौकाने वाले फैसला सुनाने के लिए जाने जाते हैं, वही लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट (X Account) में कुछ चौंकाने वाले फैसले सुनाए……
1954 से आज तक हर साल सिर्फ तीन भारत रत्न देने का प्रावधान रहा है लेकिन 2024 में सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसमें कुछ अलगाव किया है, बता दे की 2024 में 15 दिनों के अंदर ही कुल 5 लोगों को भारत रत्न देने की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा की गई है जिनमें से चार को मरणोपरांत एवं एक को जीवित अवस्था में भारत रत्न दिया जाएगा।
जिन पांच लोगों को भारत रत्न दिया जा रहा है वह राजनीति से लंबे समय से जुड़े हुए हैं लेकिन दो लोगों का भाजपा या उसके जनसंघ से कोई लेना-देना नहीं है वही एक तो विपक्षी पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री भी थे। बात रही लोकसभा चुनाव के पहले विपक्षी पार्टी के नेताओं को मरणोपरांत भारत रत्न देने की तो, यह भारतीय जनता पार्टी की एक क्रांतिकारी रणनीति है |
नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों ही परिवारवाद पर बयान दिए एवं कांग्रेस को एक परिवारवाद पार्टी बताने की कोशिश की इसके बाद उन्होंने पहले ऐसे व्यक्ति जो नेहरू-गांधी परिवार से नहीं थे और जिन्हें वह सम्मान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे यानी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देकर कांग्रेस की दुखती रग पर हाथ रख दिया है, इसके पश्चात उन्होंने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के मतदाताओं को अपने ओर ले आने की कोशिश की भी की है |
बात रही कर्पूरी ठाकुर की तो उन्हें नीतीश कुमार की सरकार द्वारा हमेशा नकारा गया है, इसका फायदा उठाते हुए मोदी सरकार ने बिहार के पिछड़ा वर्ग को अपनी तरफ करते हुए कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा कर दी जिसने राहुल गांधी के ओबीसी मतदाताओं वाले एजेंडे को भी मात दे दी है |
इन दो नाम की घोषणा करने के लगभग 15 दिनों बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल (X Handel) पर ट्वीट करते हुए तीन और हस्तियों को भारत रत्न देने की घोषणा कर दी।
चौधरी चरण सिंह देश के छठे प्रधानमंत्री थे जिनका कार्यकाल सबसे छोटा रहा है आखिर उनका क्यों देना चाह रही है मोदी सरकार भारत रत्न ?चौधरी चरण सिंह का कार्यकाल 170 दोनों का रहा उसके बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था जिसका कारण था कि वह सरकार को अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए थे, आखिर ऐसे राजनेता को मोदी सरकार भारत रत्न देकर क्या साबित करना चाह रही है ?
बात यह है की चुनाव के 2 महीने पहले सत्ता, चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन जैसे बड़े किसान नेताओ को मरणोपरांत भारत रत्न देकर किसानों एवं पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट बेल्ट को अपनी तरफ करना चाह रही है और अपनी गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है | जब सरकार ने किसानों की मांगों को मानने से साफ इनकार कर दिया था और किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के बाहर 13 महीना तक बैठे थे अब वह एमएस स्वामीनाथन और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान कर के अपनी गलती का प्रायश्चित करना चाह रही हैं।
बात यह है कि अगर कांग्रेस ‘परिवारवाद’ कर रही है तो क्या मोदी ‘गुरुवाद’ कर रहे है?क्या आडवाणी को भारत रत्न देने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि वह उस संस्कृत और हिंदुत्व वाले राष्ट्रवाद के एजेंट को आगे बढ़ा रहे हैं जो लाल कृष्ण आडवाणी ने शुरू किया था ?क्या आडवाणी को भारत रत्न देने का फैसला कोई डैमेज कंट्रोल है?
लाल कृष्ण आडवाणी भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राम मंदिर आंदोलन के अगुवा रहे हैं ,राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले आडवाणी को 22 जनवरी को होने वाले श्री राम जन्मभूमि के प्राण प्रतिष्ठा में न देखे जाने का क्या कारण है ?
राम मंदिर ट्रस्ट ने आडवाणी जी को निमंत्रण भी भेजा बल्कि महासचिव ने उन्हें अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के लिए कहा लेकिन जब आडवाणी जी वहां नहीं दिखाई तो उनके घुटनों के दर्द का हवाला देते हुए इस बात को टाल दिया गया जबकि उन्हीं के उम्र के दलाई लामा वहां उपस्थित थे।
जब मीडिया में यह खबरें तेजी से वायरल होने लगी की राम मंदिर निर्माण के मुख्य चेहरे वहां उपस्थित क्यों नहीं थे तो शर्मिंदगी से या कहे तो अपने डैमेज को कंट्रोल करने के लिए मोदी सरकार ने आडवाणी को भी भारत रत्न देने का फैसला सुना दिया | आडवाणी जी को भारत रत्न देने का फैसला इसलिए भी सुनाया गया क्योंकि बीजेपी एक बड़ा वर्ग है जिसकी शुरुआत जनसंघ और आरएसएस (RSS) से हुई थी जो अभी भी चल रही है। भारत रत्न देखकर मोदी जी बुजुर्ग वर्ग को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं साथ उनका यह भी कहना है कि हम नए लोगों के साथ-साथ पुराने को नहीं भूलते जिसका पूरा निशाना नरसिम्हा राव वाले मामले से है।
इसी प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलग-अलग क्षेत्र के अलग-अलग राजनेताओं एवं विपक्षी पार्टी के नेताओं को भारत रत्न देकर एक सियासी खेल खेला है एवं एक साथ इन राजनेताओं को सम्मान देकर मोदी एक चुनावी समीकरण साधने की कोशिश कर रहे हैं। मोदी सिर्फ सीटों की बात नहीं कह रहे हैं बल्कि वह अलग-अलग समुदायों को खुश करने के लिए भारत रत्न का खेल भी खेल रहे हैं ।
बीबीसी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के द्वारा बताया जा रहा है कि मोदी भारत रत्न को एक चुनावी टूल की तरह इस्तेमाल कर रही है। भरपूर प्रचार प्रसार, राम मंदिर से बटोरी हुई सहानुभूति,सांप्रदायिकता के उभार,कल्याणकारी योजनाओं एवं फ्री बीस की सहायता लेकर भी क्या मोदी सरकार को अपनी सीटे खोने का डर सता रहा है? क्या ये ‘चुनावी रत्न’ सहानुभूति बटोरने के लिए दिया जा रहा है?
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