न्यूज डेस्क: अयोध्या में बने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है। देशभर से करीब 7000 लोगों को प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया है, जिसमें देश के पक्ष और विपक्ष के नेताओं और देश के कई बड़े कारोबारी को भी आने का न्योता दिया गया है। इस प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व अनुष्ठान के लिए मुख्य यजमान बनना शोभाग्य की बात है। यह शोभाग्य डॉक्टर अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी उषा मिश्रा को प्राप्त हुआ है। आइए आज जानते हैं कि यजबान होना सौभाग्य की बात क्यों है और अनिल मिश्रा कौन हैं।
डॉ अनिल कुमार मिश्रा ने अपने जीवन का सबसे ज्यादा और महत्वपूर्ण समय संघ के साथ बिताया है। 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा में अनिल मिश्रा को मुख्य यजमान बनाया गया है। डॉक्टर अनिल मिश्रा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले के रहने वाले हैं। उनके गांव का नाम पतौना है। इनका जन्म 1958 में पतौना में हुआ था। वहीं इनकी प्रारंभिक शिक्षा भी यहीं से हुई है।
संघ से गहरा संबंध
डॉ अनिल मिश्रा ने बृज किशोर होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज से बीएचएमएस(BHMS) की पढ़ाई की है। वह पहले से ही संघ की विचारधारा के साथ रहे हैं। उन्हें संघ ने अवध प्रांत में कार्यवाहक नियुक्त किया था और उन्होंने अपनी भूमिका का निर्वहन भी अच्छे से किया। डॉ अनिल मिश्रा उत्तर प्रदेश के गोंडा और सुल्तानपुर जिलों में होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी रह चुके हैं। अपनी नौकरी के अंतिम के कुछ सालों में उन्होंने उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन के रजिस्ट्रार पद पर भी रहे। साल 2020 में वह सेवानिवृत हो गए।
प्राण प्रतिष्ठा के दिन मोदी रहेंगे यजमान
मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के द्वारा बताया गया है कि प्राण प्रतिष्ठा के दिन मुख्य यजमान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे। लेकिन इससे पहले प्रतिष्ठा पूर्व अनुष्ठान के लिए मुख्य यजमान डॉ अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी उषा मिश्रा होंगी। बता दें कि राम मंदिर में कुल 121 पुजारी अनुष्ठान कर रहे हैं और इस पूरी आयोजन की देखरेख वैदिक विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ कर रहे हैं।
कौन होता है यजमान
यजमान वह व्यक्ति होता है जो यज्ञ करता हो दक्षिणा आदि देकर ब्राह्मणों से यज्ञ पूजन आदि धार्मिक कृति करने वाले व्यक्ति को यजमान कहते हैं। या यूं कहें, जो किसी धार्मिक अनुष्ठान या समारोह में निष्पादन की केंद्रीय भूमिका निभाता है। यजमान किसी भी धार्मिक समारोह में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और उसे अनुष्ठान का संरक्षक या मेजबान माना जाता है।