न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र की राजनीति फिर सुर्खियों में है। अब उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) शिवसेना (Shiv Sena) पर अपनी – अपनी दावेदारी कर रहे हैं। दोनों ही पार्टियां अपने-अपने गुट को असली शिवसेना बता रही हैं, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर फैसला सुना दिया है। दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को विधायकों को अयोग्य ठहराने वाली याचिका पर फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे की शिव सेना ही असली शिवसेना है। जानिए पूरा मामला।
स्पीकर ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिव सेना द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर आयोग पर फैसला सुनाते हुए कहा कि 21 जून 2022 को जब से शिव सेना का विभाजन हुआ तब से अब तक मुख्यमंत्री के तौर पर बहुमत शिंदे गुट वाले शिवसेना के पास है, इसलिए शिंदे की शिवसेना ही असली शिवसेना मानी जाएगी।
इस पूरे विवाद की जड़ क्या है?
अक्टूबर 2019 में हुए महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन देखने को मिला था। चुनाव नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर दोनों पार्टियों के बीच मतभेद दिखाई दे रहे थे। हालाँकि, वह ठाकरे ही थे जो मुख्यमंत्री बने और शिवसेना को कई प्रमुख मंत्रालय भी मिले। लेकिन पार्टी के भीतर वैचारिक स्थिति कमजोर हो गई है। इसके बाद 21 जून 2022 को स्थिति तब और खराब हो गई जब एकनाथ शिंदे और 34 शिवसेना विधायकों के एक समूह ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया और परिणामस्वरूप एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बन गए।
वर्तमान में भी महाराष्ट्र की बागडोर एकनाथ शिंदे के हाथों में है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने शिंदे के 40 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसका नतीजा यह हुआ कि शिंदे की पार्टी ने भी ठाकरे विधायकों के खिलाफ ऐसी ही याचिका दायर की। इसके बाद करीब एक साल बाद मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की सदस्यता खारिज करने का फैसला महाराष्ट्र के स्पीकर को दे दिया। कहा गया था कि उनका फैसला पार्टी के संविधान को ध्यान में रखकर लिया जाना चाहिए, जिस पर बुधवार, 10 जनवरी 2023 को महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर का फैसला आया, उन्होंने शिवसेना के संविधान को आधार बताते हुए कहा कि महुमत के आधार पर शिंदे की शिवसेना ही असली मानी जायेगी है। अयोग्य विधायकों को लेकर पार्टियों की ओर से दायर याचिका भी खारिज कर दी गई।
अब आगे का रास्ता क्या होगा
इस विवाद और महाराष्ट्र स्पीकर के फैसले के बाद यह साफ है कि उद्धव ठाकरे इस पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र स्पीकर के इस फैसले को किस तरह से देखता है। वहीं लोकसभा चुनाव के बाद 2024 में ही महाराष्ट्र में भी चुनाव देखने को मिलेंगे और यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि किसकी सरकार बनती है और किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी।