न्यूज डेस्क: मालदीव के साथ भारत के विवाद का मामला अब तेजी पकड़ चुका है। दरअसल , पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप के दौरे पर थे और वहां के कुछ मनमोहक और आकर्षक तस्वीरें उन्होंने अपनी सोशल मीडिया हैंडल पर साझा की, जिसके बाद सोशल मीडिया पर मालदीव और लक्षद्वीप (
Maldives and Lakshadweep) की तुलना शुरू हो गई। वहीं इस आग में घी डालने का काम मालदीप के सत्ताधारी नेताओं के द्वारा किए गए ट्वीट ने कर दिया। इन ट्वीट में नरेंद्र मोदी का मजाक उड़ाया गया और भारतीयों के लिए अपशब्द का प्रयोग करते हुए आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई। जाहिर रमीज और मरियम शिऊना खास तौर से अपने कमेंट के चलते सोशल मीडिया पर भारतीयों के निशाने पर आई। इसी के बाद सोशल मीडिया पर बॉयकॉट मालदीव ट्रेंड करने लगा।
भारत पर कैसे निर्भर है मालदीव का पर्यटन
वर्तमान समय में भारतीयों के लिए मालदीव एक बेस्ट टूरिस्ट स्पॉट है, वर्ष 2023 में भारत से 2,09,198 लोग बलदीप घूमने पहुंचे थे। अगर भारतीय यहां जाना बंद कर दे तो फिर मालदीव के लिए आर्थिक संकट आ सकता है। इससे पहले 2022 में 2.41 लाख, 2021 में 2.91 लाख और 2020 में कोरोना महामारी के दौरान भी 63000 भारतीय मालदीव घूमने के लिए गए थे। मालदीव की अर्थव्यवस्था का 70% उसके पर्यटन उद्योग से आता है, जिसमें से एक तिहाई हिस्सा भारतीय पर्यटकों द्वारा आता है और मालदीव के मुख्य आय का स्त्रोत वहां का टूरिज्म ही है।
बीते वर्षों में कैसे थे भारत और मालदीव के रिश्ते (India and Maldives)
भारत और मालदीव आपस में सांस्कृतिक धार्मिक और वाणिज्यिक अनेक प्रकार के संबंध साझा करते हैं। मालदीव के आजादी के बाद उसे मान्यता देने और राजनायिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में भारत था। अधिक प्रकार की जरूरत के लिए उसे समय मालदीव्स भारत पर आश्रित था और आज भी भारत मालदीव के साथ खड़ा रहा है, 2023 में खेलों को बढ़ावा देने के लिए भारत में मालदीप को 4 करोड डॉलर मुहैया करवाए।
दोनों देशों के बीच बिगड़ते संबंधों के कारण
दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे मधुर संबंधों में कड़वाहट 2023 के आम चुनाव के बाद आई है। राष्ट्रपति पद के लिए हुए इस चुनाव में पीपल्स नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार मोहम्मद मौजूद ने भारतीय सरकार और बी वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोहेल को हराया और मालदीप के निर्वाचित राष्ट्रपति बने। इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान बायसन की पार्टी दे इंडिया आउट नाम से अभियान चलाया था जिसमें वहां मौजूद 70 भारतीय सैनिकों को वापस भेजने का वादा शामिल था।
सोहेल के हार के बाद आसन का जताई जा रही थी कि भारत और मालदीप के रिश्ते खराब हो सकते हैं क्योंकि मोईजू चीन समर्थक माने जाते हैं। चुनाव से पहले उन्होंने यह भी कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो वह चीन और मालदीव को रिश्तो को एक नई ऊंचाई पर लेकर जाएंगे और अब यह आसन का हकीकत होने लगी है इसका पहला उदाहरण तब देखने को मिला जब नवंबर 2023 में मालदीप के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह के बाद बॉयज जूते आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि सरकार ने भारत से देश की अपनी सैन्य मौजूदगी वापस लेने के लिए कहा है। यहां से दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट देखने को मिला।
भारत मालदीव विवाद का प्रभाव
भारतीय प्रधानमंत्री की सोशल मीडिया पोस्ट पर अपार लोकप्रियता के बाद भारतीय खिलाड़ियों, व्यापार संस्थापकों और प्रमुख हस्तियों ने भारतीय द्वीपों की सुंदरता की सराहना की और वहां यात्रा करने के लिए अपनी उत्सुकता जाहिर की, लोगों को भी वहां जाने की सलाह दी। इस विवाद के कारण मालदीव जाने के इच्छुक कई भारतीयों ने अपनी यात्रा भी रद्द कर दी और ध्यान देने वाली बात यह है कि लोग सोशल मीडिया पर अपनी कैंसिलेशन स्क्रीनशॉट भी शेयर कर रहे हैं।