कहते हैं सही दिशा में कार्य परिश्रम और लगने वाले समय को कम कर देता है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा कठिन परीक्षाओं में शुमार है। बड़ी संख्या में अभ्यर्थी जानना चाहते हैं कि इस परीक्षा की तैयारी की सही दिशा कैसे तय हो। इसी उद्देश्य से आज के लेख में परीक्षा की रणनीति पर विस्तार से उल्लेख किया गया है। लेख के लिए जानकारी जुटाई है देश की सर्वश्रेष्ठ कोचिंग संस्कृति IAS Coaching के CEO श्री शिवेश मिश्रा सर से।
सर का UPSC के क्षेत्र में विशिष्ठ अनुभव है। सर लम्बे समय तक दृष्टि IAS कोचिंग में भी CEO रहे हैं, जिसे छोड़कर वर्तमान में संस्कृति IAS के CEO हैं। यह कोचिंग दिल्ली के मुख़र्जी नगर से संचालित हो रही है, जिसकी एक शाखा प्रयागराज में भी है।
शिवेश मिश्रा सर से प्रश्न था कि इस परीक्षा को कम समय में कैसे उत्तीर्ण किया जा सकता है?
सर कहते हैं कि UPSC की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों से लम्बे समय से सीधा संपर्क रहा है। इस दौरान अनुभव किया है कि मेहनत करने वाले सफल और असफल अभ्यर्थियों में ख़ास अंतर नहीं होता है। वह अभ्यर्थी सफल हो जाते हैं, जिसके परिश्रम की दिशा आयोग की मांग के अनुरूप होती है। वे अभ्यर्थी असफल हो जाते हैं, जो निर्धारित अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते हैं। UPSC परीक्षा उत्तीर्ण करने में ज्ञान एक छोटी शर्त है इसके साथ कुछ अन्य प्रयासों की भी आवश्यकता होती है। ऐसा अक्सर देखने को मिल जाता है कि ज्ञान के अच्छे स्तर का अभ्यर्थी सफल नहीं हो पाया तुलनात्मक रूप से कम ज्ञान रखने वाला अभ्यर्थी सफल हो गया। इसलिए सबसे पहले हमें इस परीक्षा की मांग को समझना होगा।
यह सच है कि बंद आँखों की तुलना में खुली आँख से सटीक निशाना लगने की संभावना अधिक होती है। इसी प्रकार जब हम परीक्षा को सम्पूर्णता में समझ लेते है तो स्वतः इसे उत्तीर्ण करने के रास्ते दिखाई पड़ने लगते हैं। इसलिए सबसे पहले परीक्षा को समझ लेना चाहिए क्योंकि आयोग जो अपेक्षाएं रखता है उन्हें परीक्षाओं के माध्यम से ही पूरा करता है। परीक्षा के प्रत्येक चरण के उद्देश्य अलग-अलग हैं; जैसे-
प्रारंभिक परीक्षा में- ज्ञान, बौद्धिक क्षमता, तार्किक क्षमता, निर्णयन क्षमता आदि की जाँच
मुख्य परीक्षा में- विषय-वस्तु की समझ, विश्लेषण क्षमता, नैतिकता आदि की जाँच
साक्षात्कार में- व्यवहार, व्यक्तित्व, अभिव्यक्ति आदि की जाँच
अंतिम रूप से चयनित होने के लिए छात्रों को क्रमबद्धता में तीनों चरणों से गुजरना होता है। इसे समझ लेने के बाद अभ्यर्थियों को स्वयं को तैयार करना होता है, इस तैयारी के लिए सर ने कुछ सुझाव भी दिए हैं, जो निम्लिखित हैं-
- अध्ययन पाठ्यक्रम के अनुरूप करें
- प्रमाणिक अध्ययन सामग्री का चयन करें
- विश्वसनीय कोचिंग संस्था का चयन करें
- बारम्बार रिवीजन करते रहें
- विगत वर्षों के प्रश्न हल करें
- अभ्यास प्रश्न लगाएं
- समसामयिक घटनाओं से अपडेट रहें; आदि
सर कहते हैं, जो अभ्यर्थी परीक्षा की मांग को समझकर उक्त रणनीति से तैयारी शुरू कर देता है तो निश्चित ही उसके सफल होने की सम्भावना बढ़ जाती है।