CG News : कोर्ट द्वारा बड़ा फैसला, जज भर्ती एग्जाम में रजिस्ट्रेशन जरुरी
CG News : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा बड़ा फैसला सामने आया है. जहाँ सिविल जज भर्ती 2023-24 को लेकर चुनौती देने वाली याचिकाएं ख़ारिज कर दी गयी हैं. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु द्वारा कहा गया कि भर्ती की प्रक्रिया उसी नियम के अनुसार होगी जो विज्ञापन में तय किया गया है.
कुछ प्रतियोगियों के कथन
प्रतियोगी प्रियंका ठाकुर सहित कई अन्य आवेदकों द्वारा हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गयी थीं, उम्मीदवारों का कहना था कि राज्य लोक सेवा आयोग ने भर्ती के लिए जो शर्तें तय की है वह संविधान के कुछ अनुच्छेदों का उलंघन है.
अभियोजन अधिकारीयों के पक्ष में
याचिकाकर्ताओं द्वारा तर्क दिया गया की, लोक अभियोजन अधिकारी भी अदालत में वकीलों के समान ही कार्य करते हैं, लेकिन सरकारी नौकरी की वजह से वे बार काउंसलिंग में नामांकन नहीं करा पाते ,साथ ही ऐसे कई अन्य सरकारी सेवा में कार्यरत विधि स्नातक भी रजिस्ट्रेशन से वंचित रहते हैं. जिसके चलते उन्हें सिविल जज एग्जाम में शामिल होने से वंचित रहना पड़ रहा है.
एडमिट कार्ड जारी करने का आदेश
हाईकोर्ट ने इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान पूर्व याचिकाकर्ताओं को सही माना, जानकारी के मुताबिक जिसके बाद PSC को आदेश दिया गया की याचिकाकर्ताओं को एग्जाम फॉर्म जमा करने के साथ एडमिट कार्ड भी जारी किए जाय.
राज्य सरकार नें दिया उत्तर
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दीपक अग्रवाल बनाम और केशव कौशिक मामले सहित अन्य निर्णयों में अभियोजन अधिकारीयों को वकीलों के समान माना है. जानकारी के मुताबिक 21 फ़रवरी 2025 के संशोधित विज्ञापन में सरकारी कर्मचारियों को आयु सीमा पर छूट दी गयी है, लेकिन रजिस्ट्रेशन की शर्त को लेकर कोई रियायत नही दी गयी.
PSC का जवाब
जानकारी के अनुसार राज्य शासन और PSC की तरफ से कहा गया की याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर पाए हैं की ,किसी भी प्रकार का संवैधानिक उलंघन किया गया है. यह शर्त न्यायिक सेवा की कार्यप्रणाली बनाए रखने के लिए लागू की गयी है.
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आल इंडिया जजेस एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले में फैसला देते हुए कहा गया की, भर्ती की प्रक्रिया विज्ञापन की तारीख पर लागू नियमों के हिसाब से चलेगी. इसीलिए 23 दिसंबर 2024 को लागू पंजीकरण शर्त ही मान्य होगी, न की 21 फरवरी 2025 वाला संशोधन.
हाईकोर्ट का आदेश –फ्रेश लॉ ग्रेजुएट को सीधे जज बनना अनुचित
हाईकोर्ट द्वारा कहा गया कि, फ्रेश लॉ ग्रेजुएट्स को सीधे जज बनना सख्त वर्जित है. कम से कम 3 वर्ष की कोर्ट प्रैक्टिस अनिवार्य है. जिससे आवेदक कोर्ट की कार्यप्रणाली को ठीक तरह से समझ सके और किसी भी प्रकार से न्यायिक सेवा गुणवत्ता रूपांतरित न हो.



