UPSC Lateral Entry : लेटरल एंट्री को लेकर मचा बवाल विपक्ष ने सरकार को घेरा
UPSC Lateral Entry : संघ लोक सेवा (यूपीएससी) ने भर्ती के लिए लेटरल एंट्री नियम का ऐलान कर दिया है इसके बाद से पूरे देश में राजनैतिक हलचल तेज हो गई है, विपक्ष सरकार पर लगातार सवाल उठा रहा है और लेटरल एंट्री को वापस लेने की मांग कर रहा है. दरअसल लैटरल एंट्री का मतलब निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की सीधी भर्ती से है. इस योजना के माध्यम से निजी कंपनियों के लोग भी सरकार के साथ मिलकर काम कर सकते हैं. इस पर विपक्ष का कहना है कि सरकार दलित ओबीसी और आदिवासियों के आरक्षण को खतम करना चाहती है.
विपक्ष नेता और कांग्रेस पार्टी से सांसद राहुल गांधी ने सोमवार 19 अगस्त को मोदी सरकार को घेरते हुए कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार लेटरल एंट्री के जरिए बहुजनों का आरक्षण छीनने की कोशिश कर रही है. साथ ही उन्होंने ये भी आरोप लगाया है कि लेटरल एंट्री दलित, ओबीसी और आदिवासी समाज पर हमला है.
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 45 पदों पर लेटरल एंट्री से नियुक्ति का विज्ञापन निकला है विज्ञापन निकलने के बाद से ही विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. यूपीएसपी ने ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर्स/डिप्टी सेक्रेटरी के कुल मिलाकर 45 पदों पर लेटरल एंट्री से भर्ती करने का फैसला किया है. इन पदों पर नियुक्ति कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर होगी, इससे प्राइवेट सेक्टर के लोगों को भी सरकार के साथ काम करने का मौका मिलेगा. हालांकि, कांग्रेस, बीएसपी और समाजवादी पार्टी जैसे दलों ने इस स्कीम पर सवाल उठाया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि यूपीएससी अपने इस फैसले पर बरकरार रहती है या विपक्ष के दबाव के कारण वह अपने फैसले पर बदलाव करती है.
Author: Rishi Raj Shukla
ऋषि राज शुक्ला पत्रकारिता विद्यार्थी महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, राजनीति, फिल्म, खेल तथा तत्कालीन मुद्दों में खबर लिखने में विशेष रुचि.