Mahashivratri: शिवरात्रि तो हर महीने आता है लेकिन महाशिवरात्रि वर्ष में एक बार फागुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024 को शुक्रवार के दिन है। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात मानी जाती है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात भी मानी जाती है। शिव भक्त इस दिन व्रत रखकर रुद्राभिषेक करके अपने आराध्य से आशीर्वाद की कामना करते हैं।
महाशिवरात्रि मनाने के पीछे ये है खास वजह
पुराण की कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन शिवजी पहली बार सृष्टि में प्रकट हुए थे। शिव की प्रकाट्य ज्योतिर्लिंग अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। एक ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत। मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है कि, ब्रह्मा जी हंस का रूप धारण करके शिवलिंग के ऊपरी भाग को देखने की कोशिश किए थे लेकिन वह असफल हो गये थे। वहीं दूसरी ओर विष्णु जी वराह रूप धारण करके आधार ढूंढने का प्रयत्न कर रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।
दूसरी मान्यता के अनुसार, यह भी माना जाता है कि महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन शिवलिंग विभिन्न 64 जगह में प्रकट हुआ था। लेकिन उनमें से केवल 12 ज्योतिर्लिंग का ही पता लग पाया है, जिसे हम 12 ज्योतिर्लिंग मानते हैं। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के परिसर में दीपस्तंभ लगते हैं जिससे लोग शिवजी की अग्नि वाले अनंत लिंग का अनुभव कर सकें।
महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) की रात को पृथ्वी का सेंन्ट्रीफ्युगल फ़ोर्स मतलब केन्द्रगामी बल उपर की ओर होता है तो इस रात्री को रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए जो मंत्र जप और भगवान शिव का विधिवत पूजन करता है उसको कई सारी शक्तियां मिलती हैं जो कई वर्षों की तपस्या से भी नहीं मिलती है। शिवलिंग कई सारी ब्रह्मांडीय उर्जा को शोखता है इसलिए शिवलिंग कई सारी उर्जा का स्त्रोत है। ऐसे में शिवलिंग की बिल्वपत्र इत्यादि से पुजा करने से कई सारी सकारात्मक ऊर्जा का संचार हमारे शरीर में होता है।
इस दिन क्यों रखना चाहिए उपवास
इस दिन उपवास रखने से प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर के मूल में स्थित उर्जा स्वतः ही उपर उठने लगती है और हमारे शरीर और मन में शांति और शीतलता का अनुभव होता है। हमारे शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि की रात्री को बिल्व पत्र इत्यादि सामग्री से विधिवत शिवलिंग का पूजन करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और सारी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं। मान्यता और शास्त्रो-पुराणों के अनुसार महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दीन भगवान शिवजी और माता पार्वती का शुभविवाह हुआ था।
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