किसान आंदोलन 2.0 : ‘चुनावी रत्न’ की साजिश नाकाम, दोबारा मोर्चा लेकर निकले अन्नदाता
क्या चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन जैसे किसान नेता और किसानों के हितैषीयों को भारत रत्न देने का फैसला मोदी सरकार ने कृषि कानून से समझौता करने के लिए किया था ?
किसान आंदोलन 2.0 : अपने 13 महीने लंबे आंदोलन के बदौलत मोदी सरकार से कृषि कानून को निरस्त करवाने में कामयाब रहे किसानों ने एक बार फिर अपनी मांगे लेकर मैदान में उतरने की तैयारी कर ली हैं ।
लोकसभा चुनाव सर पर है । सरकार पर दबाव बढ़ गया है जिसके कारण सरकार सारे कामों को किनारे रखकर सिर्फ अपनी जीत पर ध्यान दे रही है । शायद सरकार उसे 13 महीने के संघर्ष को भूल गई है या फिर देख कर भी अनदेखा करने की कोशिश कर रही है ।
2020 में दिल्ली के बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों का आंदोलन इतना मजबूत था कि मोदी सरकार को कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य कानून 2020 ,कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर कानून 2020 और आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 को रद्द करना पड़ा था ।
अन्नदाता को डर था कि सरकार इन कानून को जारी करने का मकसद इसलिए बना रही है क्योंकि वह कुछ चुनिंदा फसलों पर मिलने वाले एसपी का नियम खत्म करना चाहती थी और खेती किसानी में कोऑपरेटिकरण को बढ़ावा देना चाहती थी एवं उन्हें बड़ी एग्री कमोडिटी कंपनियों का पर निर्भर करना चाहती है।
कृषि कानून को रद्द करने के बाद सरकार ने अन्नदाताओं को वादा किया था कि वह MSP की गारंटी देते हैं एवं उनकी कुछ और मांगों को पूरा करने का वादा किया था |
किसानों के दो बड़े संगठन यानी संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर 13 फरवरी को दिल्ली कूच का नारा दिया था ,वहीं किसानों से किए गए वादे को याद दिलाने के लिए अब पंजाब हरियाणा के किसान दिल्ली चलो का नारा लेकर मैदान में उतर चुके हैं ।
कौन से वादे पूरे करने में सरकार हुई नाकाम :
- सभी फसलों की MSP पर खरीद की गारंटी का कानून बनाएं ।
- किसान आंदोलन के समय किसानों के खिलाफ हुए मुकदमे वापस ले |
- लखीमपुर खीरी की घटना में मारे गए परिवारों को नौकरी एवं घायलों को 10-10 लाख का मुआवजा देना (2021 में यूपी के लखीमपुर खीरी में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की एक्सयूवी द्वारा कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे चार सिख किसानों को कुचला गया था) |
- किसानों को प्रदूषण कानून से मुक्त रखना |
- किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के मुताबिक फसल के दाम दिए जाना ( स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश का अर्थ है कि किसानों को उनकी फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिया जाना था) |
- किसानों का कर्ज माफ हो |
- किसने और खेत मजदूर को भी पेंशन दी जाए |
- विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए |
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए |
- मुफ्त व्यापार समझौता पर रोक लगाई जाए |
- मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम ₹700 दिहाड़ी दी जाए |
- नकली बीज कीटनाशक दवाइयां व खाद बनाने वाली कंपनियों पर कड़ा कानून बनाया जाए |
‘किसान मोर्चा’ एक रणनीतिक कदम :
रिपोर्ट्स के मुताबिक लोकसभा चुनाव के चार महीने पहले ही एक रणनीतिक कदम उठाते हुए किसानों ने मोर्चा सोच समझकर तैयार किया है जिसमें किसानों का कहना है कि ;
‘लोकसभा चुनाव सर पर है अगर नई सरकार बन गई तो वह इन बातों पर कभी अमल नहीं करेगी क्योंकि यह वादे विपक्षी द्वारा किए गए हैं और यह सही समय है कि सरकार को उनके किए गए वादों वादे याद कराए जाएं |’
किसानों का कहना है कि;
‘मौजूदा एसपी फार्मूला से किसानों को जो उनकी फसलों का मूल्य मिल रहा है उसमें से खेती की लागत तक नहीं निकलती तब की स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के मुताबिक लगभग डेढ़ गुना लागत मिलना चाहिए था सरकार सिर्फ इनपुट लागत के हिसाब से यह निश्चित कर देती है जिसमें ना तो लागत निकलती है ना ही मजदूरी शामिल है |’
सरकार की पूरी तैयारी , क्या पड़ेगी किसानो पर भारी ?
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों ने मिलकर किसान आंदोलन तैयार किया है जिसमें घर-घर जाकर राशन इकट्ठा किया गया था एवं बड़ी-बड़ी गाड़ियों, ट्रैक्टर और ट्राली में चढ़कर किसान दिल्ली की ओर बढ़ चुके हैं ।
लेकिन सरकार भी पूरी तैयारी में है सरकार द्वारा किसानों को रोकने के लिए शंभू बॉर्डर में सीमेंट की बेरिकेटिंग एवं कटीले तार लगाकर सील किया गया एवं सरकार ने घग्गर नदी के ऊपर बने ब्रिज को भी बंद कर दिया है जहां यह सुख गई है वहां जेसीबी से खुदाई करवा दी गई है ताकि किसान कहीं से भी निकाल कर सत्ता को उनका वादा याद ना दिला सके।
मोदी सरकार हर तरह से कोशिश कर रही है कि किसान दिल्ली तक न पहुच पाएं इसलिए पंजाब और हरियाणा जैसे क्षेत्रों में पुलिस की गाड़ियों द्वारा ऐलान किया जा रहे हैं कि किसान आंदोलन का हिस्सा न बने, रास्ते सील कराये जा रहे हैं, पेट्रोल पंप बंद कराये जा रहे हैं, पासपोर्ट जप्त किए जा रहे हैं एवं बैंक अकाउंट और जमीनों के रिकॉर्ड मांग कर अपने पास रखे जा रहे हैं |
अगर भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है तो जब देश का अन्नदाता लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहा है तो आखिर सत्ता को किस चीज का खौफ है क्यों वादे करके मुकर रही है मोदी सरकार पुराने वादे को याद दिलाने के लिए दिल्ली में बैठे अन्नदाता ।
फिर शुरू हो गई मोदी सरकार की यातनाएं किसानों पर चलवाए पानी के फब्बारे, ड्रोन से गिरवाये आंसू गैस के गोले, रबड़ की गोलियां भी चलवाई अंबाला पुलिस की डीएसपी समेत पांच पुलिसकर्मी और कई किसान भी इस दौरान घायल हो गए |
दिल्ली कूंच के इतने दिनो बाद भी कुछ किसान दिल्ली में घुसने की कोशिश कर रहे हैं आज भी दिल्ली में जाम है किसान मजदूर मोर्चा के कोऑर्डिनेटर सरवन सिंह पनहर ने कहा कि हर हाल में दिल्ली तो पहुंचेंगे ही |
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